मां हैं तो सब कुछ है।

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कल मदर्स डे है इसलिए आज की मेरी पोस्ट सारी मम्मीयो के नाम है ।वैसे तो मां के बारे में क्या लिखें  लिखने को तो बहुत कुछ है  लेकिन मां की ममता, अनकंडीशनल लव ,डेडिकेशन,सैक्रिफाइस इन सब के आगे तो शायद शब्द बने ही नहीं है। इसीलिए तो मां को शब्दों में बयां कर पाना बहुत मुश्किल है और लिखने बैठे तो एक बुक भी कम पड़ जाए।ये  मम्मीया होती ही ऐसी है अपनी रातों की नींद दिन का चैन खत्म कर, अपने बच्चों को बड़ा करती है बच्चा बीमार हो तो ना दिन देखती है ना रात बस शुरू हो जाती है देखभाल करने। पता नहीं यह हुनर मा कहां से लाती है।ठीक से सो नहीं पाती लेकिन घर के किसी भी काम में कभी भी कमी नहीं रखती हर सदस्य का वैसे ही ध्यान रखती है जैसे हमेशा रखती आई है। यू ही नही नारी को त्याग की मूरत कहां गया है। कुछ माए तो जॉब करने के साथ-साथ घर के सारे काम और बच्चों दोनों को देखती  है।इतना सब कैसे करती है इनके पास ना तो कोई अलादीन का चिराग होता है, ना ही कोई जीनी लेकिन फिर भी मां तो मां होती है ना जाने कितनी थकान के बाद भी यह अपने बच्चों के साथ खेलने का ,उन्हें पढ़ाने का ,और खाना खिलाने का समय भ...

Difference between old songs and new songs.



आपने कई बड़े लोगों को कहते सुना होगा कि पुराने गानो की
तुलना नए आज के जमाने के गाने नहीं कर सकते। आज के गानों में वह लिहाज , शर्म ,हया नहीं दिखाई देती। आजकल के गाने सुन कर तो कुछ  ऐसा ही लगता है  जैसे कि वो लोग गलत नहीं थे।कुछ हद तक वह सही थे। बात सभी गानों की नहीं हो रही है आज भी लाखों गाने ऐसे हैं जो कि लोगों के दिलों पर राज करते हैं लोगों के दिलों को छू रहे हैं।लेकिन आज रीमिक्स के दौर में लिरिक्स राइटर भी ऐसे गाने लिखते हैं कि बता नहीं सकते। ये जो रैपर होते है इन लोगो ने तो अपने गानो में दारू, व्हिस्की और न जाने क्या क्या लिखने का ट्रेंड बना लिया है । ऐसा लगता है मानो सब में होड़ लगी हो कि कौन अपने गाने में सबसे ज्यादा दारू व्हिस्की और  गंदे वर्ड्स ऐड करता है । हद तो तब हो गई जब इस होड़ मे बच्चों की लोरी भी पीछे नहीं रही।अभी कुछ दिनों पहले एक गाना आया है आपने सुना होगा "लल्ला लल्ला लोरी दारू की कटोरी"
लाला लाला लाला लोरीओ 
केंदी मम्मी शाम को जल्दी आजा ना 
रोटी-शॉटी खा के सो जाना 
नींद नहीं आये तो सुन ले 
लल्ला लल्ला लोरी 
अब मैं छोटा बच्चा नहीं बोर्नविटा पीता नहीं
घडी में सात बजे I’m on दारु की कटोरी
दूध की कटोरी  अब दारूकी कटोर हो गई ।अब बच्चे यही सुनेंगे यही गायेगे। लेकिन सोचने वाली बात तो यह है  की इससे क्या सीखेंगे???कि दारु पीना अच्छी बात है। 
कुछ लोगो के  गाने तो  बिना दारू के नाम से  शुरू ही नहीं होते  जैसे कि शुभ काम करने से पहले भगवान का नाम लेते हैं वैसे ही ये लोग दारू का नाम लेते है। इन लोगों को बस पैसे कमाने से मतलब है उनके ऐसे गलत लिरिक्स का बच्चों पर हमारे समाज पर क्या असर होता है इनसे उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता।वो यह भूल जाते हैं कि हमारे समाज में बच्चे भी रहते हैं। आज के दोर मे सबसे बड़ा चिंता का विषय यही है कि हमारे बच्चों को ऐसे गानों के जहर से कैसे बचाया जाए।


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Comments

  1. Sahi baat..👍
    Abhivaykti ki azadi k Nam pr pr sab chalta aajkal..😒😒

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